Ram Chalisa PDF In Hindi Download For Free 2024

Ram Chalisa PDF In Hindi Download करना चाहते हैं, तब आप सही स्थान पर हैं। इस ब्लॉग में आपको Ram Chalisa PDF मिलेगी PDFstak.

राजा दशरथ के घर जन्मे भगवान श्री राम को विष्णु जी का  सातवां अवतार माना जाता है। रामायण नामक धार्मिक ग्रंथ के मुख्य पात्र श्री राम ही हैं। विष्णु जी का अवतार होने के कारण भगवान श्री राम को बेहद पूजनीय माना जाता है। आइये पढ़ें श्री राम जी की चालीसा।

PDF NameRam Chalisa PDF
PDF size2.2 MB
LanguageHindi
PDF catagorye-book or Novels
Source / Creditsdrive.google.com
Updated ByGopinath

sources: the hindu prayer

राम चालीसा (Ram Chalisa)

राम-चालीसा एक प्रसिद्ध हिंदी धार्मिक पाठ है, जिसमें भगवान श्री राम की भक्ति और पूजा की जाती है।
भगवान राम हिंदू धर्म के प्रमुख देवता में से एक हैं।

वे अयोध्या के राजा हैं और धर्म के प्रतीक माने जाते हैं। उनके जीवन से नैतिकता, धर्म और कर्म की महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती है।

भगवान राम की पूजा और भक्ति से भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है। उनके नाम का जाप और कीर्तन करने से मन को शुद्धि मिलती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।

राम चालीसा

॥ दोहा ॥
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं

बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं

॥ चौपाई ॥
श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।
सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी 

निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।
ता सम भक्त और नहिं होई 

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।
ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं पाहीं ॥

जय जय जय रघुनाथ कृपाला ।
सदा करो सन्तन प्रतिपाला 

दूत तुम्हार वीर हनुमाना ।
जासु प्रभाव तिहूँ पुर जाना 

तुव भुजदण्ड प्रचण्ड कृपाला ।
रावण मारि सुरन प्रतिपाला 

तुम अनाथ के नाथ गोसाईं ।
दीनन के हो सदा सहाई 

ब्रह्मादिक तव पार न पावैं ।
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं 

चारिउ वेद भरत हैं साखी ।
तुम भक्तन की लज्जा राखी 

गुण गावत शारद मन माहीं ।
सुरपति ताको पार न पाहीं ॥ 10 ॥

नाम तुम्हार लेत जो कोई ।
ता सम धन्य और नहिं होई 

राम नाम है अपरम्पारा ।
चारिहु वेदन जाहि पुकारा 

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हों ।
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हों 

शेष रटत नित नाम तुम्हारा ।
महि को भार शीश पर धारा 

फूल समान रहत सो भारा ।
पावत कोउ न तुम्हरो पारा 

भरत नाम तुम्हरो उर धारो ।
तासों कबहुँ न रण में हारो 

नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा ।
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा 

लषन तुम्हारे आज्ञाकारी ।
सदा करत सन्तन रखवारी 

ताते रण जीते नहिं कोई ।
युद्ध जुरे यमहूँ किन होई 

महा लक्ष्मी धर अवतारा ।
सब विधि करत पाप को छारा ॥ 20 ॥

सीता राम पुनीता गायो ।
भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो 

घट सों प्रकट भई सो आई ।
जाको देखत चन्द्र लजाई ॥

सो तुमरे नित पांव पलोटत ।
नवो निद्धि चरणन में लोटत 

सिद्धि अठारह मंगल कारी ।
सो तुम पर जावै बलिहारी 

औरहु जो अनेक प्रभुताई ।
सो सीतापति तुमहिं बनाई 

इच्छा ते कोटिन संसारा ।
रचत न लागत पल की बारा 

जो तुम्हरे चरनन चित लावै ।
ताको मुक्ति अवसि हो जावै 

सुनहु राम तुम तात हमारे ।
तुमहिं भरत कुल- पूज्य प्रचारे 

तुमहिं देव कुल देव हमारे ।
तुम गुरु देव प्राण के प्यारे 

जो कुछ हो सो तुमहीं राजा ।
जय जय जय प्रभु राखो लाजा ॥ 30 ॥

रामा आत्मा पोषण हारे ।
जय जय जय दशरथ के प्यारे 

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा ।
निगुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा 

सत्य सत्य जय सत्य- ब्रत स्वामी ।
सत्य सनातन अन्तर्यामी 

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै ।
सो निश्चय चारों फल पावै 

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं ।
तुमने भक्तहिं सब सिद्धि दीन्हीं 

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा ।
नमो नमो जय जापति भूपा 

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा ।
नाम तुम्हार हरत संतापा 

सत्य शुद्ध देवन मुख गाया ।
बजी दुन्दुभी शंख बजाया 

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन ।
तुमहीं हो हमरे तन मन धन 

याको पाठ करे जो कोई ।
ज्ञान प्रकट ताके उर होई ॥ 40 ॥

आवागमन मिटै तिहि केरा ।
सत्य वचन माने शिव मेरा 

और आस मन में जो ल्यावै ।
तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ॥

साग पत्र सो भोग लगावै ।
सो नर सकल सिद्धता पावै ॥

अन्त समय रघुबर पुर जाई ।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई ॥

श्री हरि दास कहै अरु गावै ।
सो वैकुण्ठ धाम को पावै ॥

॥ दोहा ॥
सात दिवस जो नेम कर पाठ करे चित लाय ।
हरिदास हरिकृपा से अवसि भक्ति को पाय ॥

राम चालीसा जो पढ़े रामचरण चित लाय ।
जो इच्छा मन में करै सकल सिद्ध हो जाय 

आप इस चालीसा को पीडीएफ में डाउनलोड (PDF Download), जेपीजी रूप में (Image Save) या प्रिंट (Print) भी कर सकते हैं। इस चालीसा को सेव करने के लिए ऊपर दिए गए बटन पर क्लिक करें।

FAQs

राम के 108 नाम कौन कौन से हैं?

त्रयी (तीन वेद-स्वरूप), त्रिविक्रम, त्रिलोकात्मा, पुण्यचारित्रकीर्तन, त्रिलोकरक्षक, धन्वी, दण्डकारण्यवासकृत्, अहल्यापावन, पितृभक्त, वरप्रद, जितेन्द्रिय, जितक्रोध, जितलोभ, जगद्गुरु, ऋक्षवानरसंघाती, चित्रकूट समाश्रय, जयन्तत्राणवरद, सुमित्रापुत्र- सेवित, सर्वदेवाधिदेव, मृतवानरजीवन, मायामारीचहन्ता, महाभाग, महाभुज, …

राम मंत्र का क्या अर्थ है?

ॐ राम रामाय नमः मंत्र के लाभ 108/ॐ रां रामाय नमः108/Om Ram ramaya namah in hindi 108 अर्थ- इस मंत्र का शाब्दिक अर्थ है ‘भगवान राम की विजय’। यह एक बहुत लोकप्रिय मंत्र है, जिसका व्यापक रूप से सामूहिक जाप के लिए उपयोग किया जाता है। यह मंत्र आत्मविश्वास बढ़ाता है। यह मंत्र शांति और सद्भाव को भी बढ़ावा देता है।

राम का छोटा नाम क्या है?

और विष्णु भगवान का रूप है. आदिपुरुष-भगवान को आदिपुरुष के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा भगवान राम को रघुनंदन, रमण, रामरज, रामकिशोरे, रामजी, रमित, रमेश, रामदेव, रामदास, रामचरण, रामचंद्रा, रामाया, रामानंद, रमोजी के नाम से पुकारा जाता है.

राम की तीनों मां का नाम क्या था?

राजा दशरथ के तीन रानियां थीं: कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। भगवान राम कौशल्या के पुत्र थे, सुमित्रा के दो पुत्र, लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे और कैकेयी के पुत्र भरत थे। राज्य नियमों के अनुसार राजा का ज्येष्ठ पुत्र ही राजा बनने का पात्र होता है अत: श्री राम का अयोध्या का राजा बनना निश्चित था।

Leave a Comment