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बजरंग बाण (hanuman chalisa bajrang baan pdf) एक हिंदू भक्ति भजन है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इसकी रचना प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास ने की थी। हिंदू पौराणिक कथाओं में शक्ति, साहस और भक्ति के प्रतीक माने जाने वाले भगवान हनुमान का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए इस भजन का जाप किया जाता है।
PDF Name | Hanuman Baan PDF |
PDF size | 1.5 MB |
Language | Hindi |
PDF catagory | e-book or Novels |
Source / Credits | drive.google.com |
Updated By | Gopinath |
source: Shree Hanuman Chalisa
Bajrang Baan Hindi Lyrics
| दोहा |
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
| चौपाई |
जय हनुमंत संत हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै।
आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका।
मारेहु लात गई सुरलोका॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा।
सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा।
अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा।
लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी।
कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता।
आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले।
बैरिहि मारु बज्र की कीले॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता।
शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक।
राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर।
अगिन बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की।
राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै।
राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा।
दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा।
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं।
तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ।
ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा।
सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं।
यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल।
ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै।
ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की।
हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं।
तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा।
ताके तन नहिं रहै कलेसा॥
| दोहा |
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥
बजरंग बाण (Hanuman Baan) किसने और क्यों लिखा ?
कहा जाता है कि बजरंग बाण की रचना भगवान हनुमान के प्रभावी भक्त और संत कवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। एक घटना के अनुसार, एक बार काशी में तुलसीदास जी पर किसी तांत्रिक ने मारण मंत्र का प्रयोग किया था, जिसके कारण उनके शरीर पर बड़े-बड़े फोड़े निकल आए थे। उन्होंने बजरंग बाण का पाठ किया और हनुमान जी से अपनी रक्षा की प्रार्थना की। पाठ करने के एक दिन बाद ही उनके शरीर पर निकले सारे फोड़े ठीक हो गए। इस घटना के बाद, बजरंग बाण को शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है।
बजरंग बाण (Hanuman Baan) पाठ का महत्व
बजरंग बाण का पाठ हनुमान जी के आशीर्वाद को प्राप्त करने का प्रमुख उपाय माना जाता है। इसे विशेष कार्यों की सिद्धि के लिए ही उपयोग में लाया जाता है। इस मंत्र में भगवान राम की सौगंध भी दी गई है, जिसके प्रभाव से हनुमान जी की मदद समर्थन के लिए उपस्थित होते हैं। इसे मंगलवार के सुबह स्नान के बाद नियमित रूप से पाठ किया जाता है। इसे कम से कम 41 दिनों तक प्रतिदिन करने का सुझाव दिया जाता है।
बजरंग बाण (Hanuman Baan) पाठ के लाभ
- कुंडली में दोषों से छुटकारा पाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
- बजरंग बाण के पाठ से मन का किसी भी प्रकार का भय दूर हो जाता है।
- रोग से पीड़ित व्यक्ति को आराम मिलता है, क्योंकि इस पाठ से रोग ठीक हो सकता है।
- दुश्मनों को पराजित करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
- कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करने और सफलता प्राप्त करने के लिए यह पाठ उपयोगी है।
- मांगलिक दोष से ग्रसित व्यक्ति के विवाह को सुखद बनाने में यह सहायक होता है।
- वास्तुदोषों को दूर करने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है।
- शनि की दशा के कारण हो रही समस्याओं को हल करने में इसका उपयोग किया जा सकता है।
- नौकरी प्राप्ति और व्यापारिक सफलता के लिए यह पाठ उपयोगी होता है।
- घर की आर्थिक और व्यावसायिक स्थिति को सुधारने में इसका सहायक होता है।
बजरंग बाण का पाठ 1 दिन में कितनी बार करना चाहिए?
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मंत्र में जहां पर फट शब्द आए, वहां फट बोलने के साथ 2 उंगलियों से दूसरे हाथ की हथेली पर ताली बजानी है। – इसके बाद 21 बार लगातार बजरंग बाण का पाठ करें।
क्या बजरंग बाण रोज नहीं पढ़ना चाहिए?
बजरंग बाण का पाठ किसी भी दिन नहीं शुरू करना चाहिए. इसका पाठ मंगलवार के दिन से ही शुरू किया जाना चाहिए. मनोकामना की पूर्ति के लिए बजरंग बाण का पाठ अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए. मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कम से कम 41 दिनों तक इसका पाठ जरूर करें.
बजरंग बाण कब नहीं करना चाहिए?
कभी किसी का बुरा करने की कामना के साथ बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए। किसी भी अनैतिक कार्य की पूर्ति के लिए या फिर किसी से विवाद की स्थिति में विजय पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।
बजरंग बाण कितने बजे करना चाहिए?
बजरंग बाण का पाठ रात्रि 11 बजे से 1 बजे के बीच करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इससे पहले एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछा लें और चौकी को पूर्व दिशा में स्थापित करें। फिर चौकी के दायीं तरफ घी का दिया जलाएं और चौकी पर ‘ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट’ इस मंत्र को कागज पर लिखकर चौकी पर रख दें।